प्रस्तावना :- भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार की ऋतुएँ पाई जाती है । भारत में मुख्यतः तीन ऋतुएँ होती है :- वर्षा ऋतु , ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु । इन तीनों ऋतुओं का हमारे देश की जलवायु वातावरण और पर्यावरण पर बहुत प्रभाव पड़ता है । भारत में ग्रीष्म ऋतु अप्रैल महीने से प्रारंभ होकर जून महीने तक मुख्य रूप से प्रभावशील रहती है । ग्रीष्म ऋतु में बहुत तेज गर्मी पड़ती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि 14 जनवरी मकर संक्रांति से पृथ्वी सूर्य की तरफ निकटतम दूरी तक पहुंचती जाती है । पृथ्वी जितना अधिक सूर्य के तरफ जाते जाती है उतनी ही अधिक गर्मी हमें लगती है । पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखने के लिए गर्मी, ठंडी और बरसात तीनों ऋतुएँ आवश्यक होते हैं।
ग्रीष्म ऋतु क्यों आवश्यक है :- प्रकृति के संतुलन के लिए सभी ऋतुओं का समान महत्व है । सभी ऋतुएं एक दूसरे से गहरे रूप से संबंधित है । प्रकृति के सफल संचालन के लिए ग्रीष्म ऋतु बहुत आवश्यक है । ग्रीष्म ऋतु के फल स्वरुप हवाएं गर्म होकर ऊपर उठती है और वाष्पीकृत होकर वर्षा वाले बादलों का निर्माण करती है जिसके फल स्वरुप वर्षा ऋतु में वर्षा होती है । यह भी कहा जा सकता है कि जब तक ग्रीष्म ऋतु आएगी नहीं तब तक वर्षा ऋतु भी ठीक प्रकार से नहीं आएगी । प्रायः ग्रीष्म ऋतु में नदी नाले सब सूख जाते हैं । सभी जीव जंतु पानी के लिए व्याकुल हो उठते हैं। ओजोन गैस के क्षरण के कारण पृथ्वी की सतह बहुत अधिक तेजी से गर्म हो रही है जिसके कारण बहुत अधिक गर्मी लगती है। ग्रीष्म ऋतु में बहुत तेज धूप रहती है जिसके कारण बहुत तेज गर्मी लगती है । दोपहर के समय तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चले जाता है इसके कारण रहन-सहन में बहुत मुसीबत होती है । लोग गर्मी से राहत पाने के लिए पंखा कूलर और AC की सहायता लेते हैं। तब जाकर कहीं थोड़ी राहत मिलती है । गर्मी की ऋतु में गर्मी से राहत पाने के लिए लोग शीतल पेय पदार्थों का बहुत उपयोग करते हैं । इस मौसम में शरीर को पेय पदार्थों की बहुत आवश्यकता होती है। ग्रीष्म ऋतु में हमें स्वयं का ध्यान रखने के साथ-साथ हमारे आसपास मौजूद पशु-पक्षियों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। पशु-पक्षियों के लिए यथासंभव पानी की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे उनको पानी के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े । भीषण गर्मी से बहुत से पशु-पक्षी मर जाते हैं तो मनुष्य होने के नाते हम सभी का यह कर्तव्य होता है कि हम यथासंभव उनका ध्यान रखें और उन्हें सुरक्षा प्रदान करें ।
ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव :- ग्रीष्म ऋतु का हमारे पर्यावरण पर विशेष प्रभाव पड़ता है। ग्रीष्म ऋतु के कारण जल वाष्पीकृत होकर आसमान में पहुंचता है और बरसात के मौसम के लिए बादल बनता है और फिर उन्हीं बादलों से वर्षा होती है इसलिए ग्रीष्म ऋतु का होना बहुत आवश्यक है । ग्रीष्म ऋतु का जनजीवन पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है जैसे लोग खाने की अपेक्षा तरल पदार्थ का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करते हैं। लोग हल्के रंग के कपड़े पहनना पसंद करते हैं जिससे उनको गर्मी ना लगे। ग्रीष्म ऋतु में बहुत से लोग घूमने जाते हैं । ग्रीष्म ऋतु में लोग दूसरे राज्यों के हिल स्टेशनों पर छुट्टी मनाने चले जाते हैं ।
उपसंहार -: ग्रीष्म ऋतु बहुत ही महत्वपूर्ण ऋतु है जिसके कारण हमारी पृथ्वी का संतुलन बना रहता है। ग्रीष्म ऋतु में बहुत सी वस्तुएं उत्पन्न होती है जो हमारे जीवन शैली के लिए महत्वपूर्ण है। बहुत सी फसलों एवं फलों के लिए ग्रीष्म ऋतु बहुत आवश्यक होती है । बहुत सी खेती के लिए भी ग्रीष्म ऋतु बहुत लाभदायक होती है इससे खेतों की मिट्टी में पनपे हुए कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की वर्षा ऋतु के लिए ग्रीष्म ऋतु का होना भी बहुत जरूरी है ।