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सुबह से ही समझें ख़ुद को

सुबह से ही समझें ख़ुद को

प्रायः दिन की शुरुआत करने में हम विश्लेषात्मक रवैया अपनाते हैं क्योंकि हमारा मस्तिष्क जागते साथ ही पूरे दिन की क्रियाविधि पर विचार करने लगता है और प्राथमिकता के आधार पर कार्यों को तय करने लगता है । हम अपने जरूरी कार्यों को कई बार टालते रहते हैं यह जानकर भी कि वह कितने आवश्यक हैं ।

हम या भली-भांति जानते हैं कि यह काम मुझे आने वाले समय में भी बहुत लंबे समय तक लाभ पहुंचा सकता है फिर भी बहुत सारे लोग यह जानकर भी अंजान बने रहते हैं। व्यक्ति अपना भला बुरा बहुत ही अच्छे तरीके से जानता है इसके बावजूद भी वह जीवन में ऐसे निर्णय या मोड़ लेने से कतराते है जिसके फल स्वरुप उसे जीवन में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हो सकती है और जो व्यक्ति जाने या अनजाने में निर्णय करता है उसे समय के साथ अच्छे परिणाम भी प्राप्त हो जाते हैं और वह आगे बढ़ जाता है या यह भी कहा जा सकता है कि वह अपने पुराने जीवन से एक नए जीवन की तरफ अग्रसर हो जाता है।

हमारा मस्तिष्क अपने आप को ठीक भी खुद ही करता है और समय-समय पर हमें अच्छे विचार भी प्रेषित करता है लेकिन हम उसे नहीं पाते और लोगों के अनुसार निर्णय लेकर अपना काम हम खराब कर लेते हैं। कोई भी कार्य खुद कर कर देखने के बाद सफल हो चाहे असफल हो उसकी जानकारी सिर्फ आपको रहेगी उसका अनुभव आपको मिलेगा तो यह जरूरी हो जाता है कि हम कोई भी कार्य अनुभव के लिए खुद करें। लोग अपने विचारों को ठीक प्रकार से समझते नहीं है देखते नहीं है उसे रिकॉर्ड करते नहीं है अगर सभी अपने विचारों पर बराबर नजर रखते रहे तो मनुष्य को जीवन में बहुत कुछ प्राप्त हो सकता है। कोशिश करनी चाहिए कि अपने विचारों को कहीं पर लिख ले और बाद में उन पर कम करें ।

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